Thursday, November 12, 2009
मानस गीत
(यह मानसों का प्रेरणा गीत है)
अग्नि इन्द्र वरुण तुम हो, सूर्य सोम और रुद्र भी तुम हो।
किसकी प्रतीक्षा कर रहे हो मानस,
ब्रह्म भी तुम ही हो।
अहम ब्रह्मस्मि कहो, ब्रह्म नाद प्रारम्भ करो।
विराट पुरुष तुम हो, हिरण्यगर्भ तुम्हारे ह्र्दय में है।
किसकी प्रतीक्षा कर रहे हो मानस,
विश्वकर्मा भी तुम ही हो।
अपने विश्व की रचना प्रारम्भ करो ।
यज्ञ की वेदी तुम हो, हवि भी तुम हो।
किसकी प्रतीक्षा कर रहे हो मानस,
पुरोहित भी तुम ही हो। यज्ञ प्रारम्भ करो,
ब्रह्म नाद करो, अहम ब्रह्मस्मि कहो ।
रवीन्द्र ‘श्रीमानस’
रचयिता / गीतकार
Ravindra ‘ShriManas’
Composer
Thursday, September 10, 2009
shaayari
SJ (28.8.09)
क्यों कहते हो मेरे साथ कुछ भी बेहतर नही होता
सच ये है के जैसा चाहो वैसा नही होता
कोई सह लेता है कोई कह लेता है क्योंकि
ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नही होता
आज अपनो ने ही सिखा दिया हमें यहाँ
हर ठोकर देने वाला पत्थर नही होता
क्यों ज़िंदगी की मुश्क़िलों से हारे बैठे हो
इसके बिना कोई मंज़िल, कोई सफ़र नही होता
कोई तेरे साथ नही है तो भी ग़म ना कर
ख़ुद से बढ़ कर कोई दुनिया में हमसफ़र नही
VM (07.9.09)
यह सच है कि खुद से बेह्तर कोइ साथी नही होता
पर खुद को पाना भी तो इतना आसान नही होता
खुद को पाना गर इतना आसान होता
तो दुनिया मे इतना गम न होता और
कोई कभी तन्हा ना होता
हमने भी कभी तमन्ना की थी हमसफर की दिले साकी की
एक हसीन सपना सा देखा था ज़िन्दगी के दिन ओ रातो की
पर कोन जांनता है ख्वाब के पीछे क्या होता है
खुशबू ए फूल है या कांटो की चुभन है
अब तनहाई ही हमसफर है हमसाथी है हमसाकी है
किसी का साथ अब अच्छा नही लगता
दिल घब्रराता है अब किसी की आहट से
खामोशी खामोशी खामोशी बस सिर्फ खामोशी हर तरफ खामोशी
Sunday, September 28, 2008
BOOK 1- The Silence
When you are in a state of silence, there are no words, just an echo of primordial sound ( "OUM" ) and you and the silence within. There is nothing more than this and nothing less than this. This is the truth. This is the source from where everything comes into being and then returns. All existence, everything that is, all matter and energy, all thought is contained in this silence.
This pure silence is what some have called Truth, Infinity, Reality, Enlightenment, Nothingness, God, Holy Spirit, True Self, Love and Consciousness.
This silence is a mystery beyond mind, beyond what the human brain can fully comprehend. Like a beautiful diamond, we can only see a few facets at a time. This mystery is seemingly far beyond our capacity to understand, to know. And yet this is contained within our very selves, and this contains us as well.
The greatest wonder of this is that you and I, above all other life forms on this planet are able to be consciously aware of this reality.
You are aware of this, though perhaps you have not experienced this yet. Perhaps you have not realized this. This awareness of ours, this consciousness of being, is the silence itself.
This silence permeates everything and is the cause of everything.
All that you need, all that you seek, all that you hope and long for is contained in this silence.
This is the way everything is in reality exist. All forms, all matter, all energy, all thoughts grow and then disappear.