(This is inspirational song of Manas people)
(यह मानसों का प्रेरणा गीत है)
अग्नि इन्द्र वरुण तुम हो, सूर्य सोम और रुद्र भी तुम हो।
किसकी प्रतीक्षा कर रहे हो मानस,
ब्रह्म भी तुम ही हो।
अहम ब्रह्मस्मि कहो, ब्रह्म नाद प्रारम्भ करो।
विराट पुरुष तुम हो, हिरण्यगर्भ तुम्हारे ह्र्दय में है।
किसकी प्रतीक्षा कर रहे हो मानस,
विश्वकर्मा भी तुम ही हो।
अपने विश्व की रचना प्रारम्भ करो ।
यज्ञ की वेदी तुम हो, हवि भी तुम हो।
किसकी प्रतीक्षा कर रहे हो मानस,
पुरोहित भी तुम ही हो। यज्ञ प्रारम्भ करो,
ब्रह्म नाद करो, अहम ब्रह्मस्मि कहो ।
रवीन्द्र ‘श्रीमानस’
रचयिता / गीतकार
Ravindra ‘ShriManas’
Composer
Thursday, November 12, 2009
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